Shodashi - An Overview
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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?
Although the precise intention or significance of this variation may range depending on particular or cultural interpretations, it could normally be understood being an prolonged invocation of the combined Electricity of Lalita Tripurasundari.
Shodashi is deeply connected to The trail of Tantra, exactly where she guides practitioners toward self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she's celebrated given that the embodiment of Sri Vidya, the sacred information that results in enlightenment.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥
चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥
सर्वसम्पत्करीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥३॥
षट्पुण्डरीकनिलयां षडाननसुतामिमाम् ।
Her legacy, encapsulated in the vibrant traditions and sacred texts, carries on to manual and inspire These on The trail of devotion and self-realization.
लब्ध-प्रोज्ज्वल-यौवनाभिरभितोऽनङ्ग-प्रसूनादिभिः
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी click here यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥
Her narratives usually highlight her purpose within the cosmic struggle in opposition to forces that threaten dharma, therefore reinforcing her placement as a protector and upholder with the cosmic get.
मन्त्रिण्या मेचकाङ्ग्या कुचभरनतया कोलमुख्या च सार्धं